ICICI Bank Fraud Case: अपने खून-पसीने की कमाई को सुरक्षित रखना का बैंक अमूमन सबसे सुरक्षित स्थान होता है। खासकर, अगर आपको पैसों की तत्काल जरूरत न हो, या लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट करना हो, जैसे कि फिक्स्ड डिपॉजिट (FD)। FD में बैंक आपके पैसों को एक निश्चित समय के लिए जमा करते हैं। फिर बदले में आपको एक निश्चित ब्याज दर पर रिटर्न मिलता है। इससे सुरक्षित निवेश में से एक माना जाता है और यही वजह है कि इसमें सीनियर सिटीजंस अपनी पूरी जिंदगी की कमाई लगा देते हैं।
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लेकिन यह सुरक्षा सिर्फ छलावा भी साबित हो सकती है। खासकर, जब किसी दिग्गज बैंक का कर्मचारी आपके पैसों से अपने निवेश का बचकाना शौक पूरा करने लगे। ICICI बैंक की रिलेशनशिप मैनेजर ने ऐसे ही करोड़ों का फर्जीवाड़ा किया और उसे शेयर बाजार उड़ा दिया।
क्या है पूरा मामला?
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यह मामला राजस्थान के कोटा शहर का है। ICICI बैंक की एक रिलेशनशिप मैनेजर पर आरोप है कि उसने वरिष्ठ नागरिकों के FD और लोन खातों से तीन वर्षों के दौरान करोड़ों रुपये की ठगी की।
26 साल की इस महिला कर्मचारी को ग्राहकों के खातों से 4.58 करोड़ रुपये के गबन के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इनमें ज्यादातर सीनियर सिटिजन यानी बुजुर्ग खाताधारक हैं। इस फ्रॉड को बैंक की आंतरिक ऑडिट टीम ने पकड़ा। इसके बाद पुलिस में FIR दर्ज हुई और 31 मई 2025 को उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
कैसे हुआ फ्रॉड?
महिला बैंक कर्मचारी ने यह फ्रॉड 2020–2023 के दरम्यान किया। उसने कुछ खास पैटर्न के हिसाब से ग्राहकों के खाते से पैसे निकाले।
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- बुजुर्ग ग्राहक निशाना: आरोपी ने ऐसे वरिष्ठ नागरिकों को टारगेट किया, जिनके पास फिक्स्ड डिपॉजिट थे और जो डिजिटल बैंकिंग में कम जानकार थे।
- वित्तीय उत्पादों का दुरुपयोग: उसने ग्राहकों की जानकारी और अनुमति के बिना उनके एफडी को प्रीमैच्योर तरीके से तोड़ दिया, उनके नाम पर ओवरड्राफ्ट (OD) और पर्सनल लोन लिए।
- रकम तीसरे खाते में ट्रांसफर: आरोपी ने फंड्स को ट्रैक से बाहर करने और पहचान से बचने के लिए उसने एक ‘थर्ड पार्टी पूल अकाउंट’ में ट्रांसफर किया।
इस तरह क्लाइंट को लंबे समय तक फ्रॉड का पता नहीं चलता। जब तक उन्हें खुद स्टेटमेंट या ब्याज में कमी नजर नहीं आती।
आरोपी ने पैसों का क्या किया?
उसने ये पैसे ICICI Direct और Zerodha जैसे ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के जरिए डेरिवेटिव्स (F&O) में निवेश किए। आरोपी ने अपनी ऑनलाइन गतिविधियों को इतनी सफाई से छुपाया कि लंबे समय तक उसके सहकर्मियों या मैनेजर को शक नहीं हुआ। यही वजह है कि उसकी पोल खुलने में इतना वक्त लगा।
ICICI बैंक की इंटरनल ऑडिट टीम को कुछ अनियमितताओं की भनक लगी, जिसके बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ, और उसे तत्काल सस्पेंड कर पुलिस को सौंप दिया गया।
110 खातों से 4.58 करोड़ का गबन
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस फ्रॉड में कुल 110 ग्राहक खातों से ₹4.58 करोड़ की रकम निकाली गई। इनमें से अधिकतर खाते वरिष्ठ नागरिकों के थे। इन ग्राहकों को डिजिटल बैंकिंग की ज्यादा जानकारी नहीं थी और उनका भरोसा पूरी तरह बैंक पर था।
फिलहाल क्या स्थिति है?
बैंक ने आधिकारिक तौर पर FIR दर्ज कराई है और आरोपी महिला कर्मचारी को गिरफ्तार कर लिया गया है। बैंक की ओर से सभी प्रभावित खातों की जांच की जा रही है।
इस मामले ने एक बार फिर बैंकिंग सिस्टम की आंतरिक सुरक्षा और बुजुर्ग ग्राहकों की डिजिटल समझ की सीमाओं को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना एक चेतावनी भी है कि निवेशक और ग्राहक, खासकर वरिष्ठ नागरिक, डिजिटल सेवाओं के प्रति जागरूक हों और अपने खातों की नियमित निगरानी करें।
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